गणतन्त्र - जनताके तन्त्र अथवा जनताके राज्य एगो अईसन देश ह जहाँके शासनतन्त्रमें सैद्धान्तिक रूपसे देशके सर्वोच्च पदमें आम जनतासे कवनो भी व्यक्ति पदासीन हो सकेला। एह प्रकारके शासनतन्त्रके गणतन्त्र कहल जाला। "लोकतन्त्र" अथवा "प्रजातन्त्र" गणतन्त्र से फरक विषय हवे। लोकतन्त्र ओह शासनतन्त्रके कहल जाला जहाँ वास्तव में सामान्य जनता अथवा ओकर बहुमतके इच्छासे शासन चलेला। आज विश्वके बहुत अईसन देश गणराज्य बा, आ संगही लोकतान्त्रिक भी बा। नेपाल सङ्घीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्रात्मक राज्य ह।
जनआन्दोलन २०६२/६३ के जगमें भयील निर्वाचनसे गठित संविधानसभाके पहिलका बैठकसे २०६५ जेठ १५ गते नेपालके सङ्घीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र घोषणा कयील रहे । २३८ वर्ष लमहर शाह वंश राजपरम्पराके अन्त के घोषणा भयीला के उक्त दिनके प्रत्येक वर्ष गणतन्त्र दिवसके रूपमें मनावल जाला।
ओकरा बाद के संविधान सभा डा. रामवरण यादव गणतन्त्र नेपाल के पहिलका राष्ट्रपती आ उपराष्ट्रपती में परमानन्द झा चुनाईल रहे लोग। ओकरा सम्माननिय निवर्तमान राष्ट्रपती विधा देवी भण्डारी गणतन्त्र नेपाल के दुसिरका राष्ट्रपती तथा नंया संविधान जारी भयीला के बाद के पहिलका राष्ट्रअध्याक्ष रहली। नेपाल के संविधान २०७२ राष्ट्रपती के राष्ट्र अध्यक्ष आ संविधान संरक्षक एवं अभिभावक के रुप में स्थापित कयीले बा। राष्ट्रीय एकता के प्रवर्धन संविधान के पालना अथवा संरक्षण कयील राष्ट्रपती के कर्तव्य होला।
सन् १९९० के बाद प्रारम्भ भयील बहुलवाद, उदारवाद आ लोकतन्त्रके विश्वव्यापी प्रचण्ड लहरके केवल राजनीतिक प्रणाली आ अर्थतन्त्र खाली ना होई, राष्ट्र–राज्य आ राष्ट्रियता आ राष्ट्रिय सुरक्षाके अवधारणा भी उदार आ व्यापक बा । एक्काइसौं शताब्दीके उदार लोकतान्त्रिक युगमें उन्नाइसौं शताब्दीके परम्परागत, संकीर्ण आ राज्यकेन्द्रित प्रस्थापना असान्दर्भिक होत गयील बा। नेपाल के बहुलता आ विविधताके आत्मसात् करत संविधानसभामार्फत बनल संविधानके नेपाल वास्तविक बहुधार्मिक, बहुसांस्कृतिक, बहुभाषिक आ बहुजातीय राज्यके रूपमें स्थापित कयील बा । यी लोकतान्त्रिक, उदार आ प्रगतिशील संविधान ह एवं यी गणतन्त्र, संघीयता आ धर्मनिरपेक्षता के संस्थागत कयील बा । संसद्मा ३३ प्रतिशत से अधिक आ स्थानीय सरकारमें ४० प्रतिशत से अधिक महिलाके प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कर के संविधान समावेशीकरणके दृष्टिसे उदाहरणीय बा । संविधानके उदार राष्ट्र–राज्य निर्माणके वास्तविक शिलान्यास कयील बा । २०४६ में बहुदलीय लोकतन्त्र स्थापना भयीला के बाद प्रारम्भ भयील राष्ट्र–निर्माण प्रक्रियाके यी संविधानके संवैधानिक रूपमें सुनिश्चित कयीले बा ।
राष्ट्रियता के मतलब केवल भूगोल ना, जनता आ भूगोल दुनो ह। एहिसे राष्ट्रियताके संरक्षण व्यक्तिविशेष के ना ह, जनताके ह । कवनो भूगोल, जाति, भाषा, धर्म, संस्कृतिके‘राष्ट्रवादी’ अथवा ‘राष्ट्रघाती’ के रूपमें परिभाषित करल संकीर्ण सोच आ प्रवृत्तिके राष्ट्रियता बरियार ना होला । महेन्द्रकालीन एकात्मक राज्य, एक भाषा, एक धर्म, एक संस्कृति आ एक पोसाक ना, बहुलता, विविधता आ सार्वभौम नागरिक ही राष्ट्रियता के आधार ह। एहिसे गणतन्त्र, संघीयता आ धर्मनिरपेक्षताके कारण नेपालके राष्ट्रियताके आयाम आ अवयव के भावनात्मक रूपमें एकीकृत हो के राष्ट्रिय एकताके जग आउर बरियार भयील बा । वास्तवमें राष्ट्रियताके संवर्द्धन राजतन्त्रकालमें ना, लोकतान्त्रिक आ गणतान्त्रिक कालमें भयील बा।